AmitSharma
Friday, April 1, 2011
आजीब दास्तान
आज़ीब दस्तान है ये सुनाने के लिये।
ळफ़्ज आखो मे झलक्ते है बातने के लिये
दर्द सीने का सीने मे छुपाये रख्ते है
मौत को जिन्दगी का दर्द सुनने के लिये
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